शकुंत माथुर का परिचय
‘दूसरा सप्तक’ में शामिल शकुंतला माथुर, जो शकुंत माथुर के नाम से भी जानी जाती हैं, का जन्म 20 मार्च 1922 को दिल्ली में हुआ। आरंभिक शिक्षा-दीक्षा दिल्ली में हुई और इंटर की परीक्षा संयुक्त प्रांत से पास की। 1940 में कवि गिरिजाकुमार माथुर से विवाह के बाद पहली बार मध्य भारत के जंगली इलाक़ों और ग्रामों को निकटता से देखा जिनका प्रभाव उनकी कविताओं पर पड़ा। बचपन से तुकबंदियाँ करने लगी थीं और गाने का शौक़ था। चित्रकारी, वस्त्रों की डिज़ायनिंग, मोटर चलाना और मन भरकर सोना उन्हें भाते थे। विवाह के बाद की गृहस्थी में ये चीज़ें समाप्त हो गईं और गृहस्थी की दस वर्ष की बेहोशी के बाद उनकी सामाजिक चेतना फिर लौट आई और संसार में कुछ करने का और कुछ छोड़ जाने का मन हुआ।
‘चाँदनी चुनर’, ‘अभी और कुछ’ तथा ‘लहर नहीं टूटेगी’ उनके प्रमुख कविता-संग्रह हैं। उनकी कविताओं के अनुवाद अँग्रेज़ी, रूसी, जर्मन, पोलिश आदि विदेशी भाषाओं एवं अन्य भारतीय भाषाओं में हुए हैं। उन्होंने काव्य-रचना का रास्ता आम नारी जीवन की रोज़मर्रा की ऊब और मानसिक विकास के अभावों की पूर्ति के लिए चुना। कविता के प्रति उनका आग्रह रहा कि ‘कविता जीवित हो, अर्थात वह जीवन के वास्तविक वातावरण और परिस्थितियों की ज़मीन पर जन्म ले; इसी में उसकी पूर्णता है, और अब उसी दृष्टिकोण के सहारे मैं आगे बढ़ूँगी।