फ़रीदी साहब के बाग़ में
"मेरे एक विद्यार्थी ने आमों के बाग़ में आने के लिए आमंत्रित किया है, आप चलेंगी क्या?" मेरे बहनोई प्रो. धर्मेंद्रनाथ शास्त्री ने कहा।
सेब, नाशपाती, बादाम, अखरोट आदि से झूलते बाग़ों में मेरा बचपन उछलते-कूदते बीता है, किंतु इधर वर्षों से समतल पर आए हुए