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संतोष अर्श

1987 | बाराबंकी, उत्तर प्रदेश

नई पीढ़ी के हिंदी कवि-ग़ज़लकार। लोक-संवेदना और सरोकारों के लिए उल्लेखनीय।

नई पीढ़ी के हिंदी कवि-ग़ज़लकार। लोक-संवेदना और सरोकारों के लिए उल्लेखनीय।

संतोष अर्श का परिचय

नई पीढ़ी के कवि-गज़लकार संतोष अर्श का जन्म उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के एक गाँव मँझपुरवा में एक पशुपालक परिवार में 1987 में हुआ। विद्यार्थी जीवन से ही लेखन और जनांदोलनों में भागीदारी करने लगे थे। उन्होंने गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय से हिंदी की पच्चीस वर्षों (1990 से 2015) की कविता पर ‘इको-क्रिटिसिज्म’ के दृष्टिकोण से वृहत अंतर-अनुशासनात्मक शोध-कार्य किया है और ‘भूमंडलीकरण के दौर की हिंदी कविता में पर्यावरण बोध’ विषय पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। वर्तमान में उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत हैं।
उनकी ग़ज़लों के तीन संग्रह ‘फ़ासले से आगे’, ‘क्या पता’ और ‘अभी है आग सीने में’ शीर्षक से प्रकाशित हैं। इसके अतिरिक्त समीक्षा, कविता-आलोचना और अन्य समसामयिक विषयों पर लेखन करते रहे हैं। उन्होंने देश-विदेश के कुछ प्रमुख लेखकों के साक्षात्कार भी लिए हैं।  

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