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संत केशवदास

संत यारी के शिष्य। आध्यात्मिक अनुभव को सरल भाषा में प्रस्तुत करने वाले अलक्षित संत-कवि।

संत यारी के शिष्य। आध्यात्मिक अनुभव को सरल भाषा में प्रस्तुत करने वाले अलक्षित संत-कवि।

संत केशवदास का परिचय

केशवदास जाति के बनिया और कदाचित् भरकुंडा के निकटवर्ती किसी स्थान के ही निवासी थे। ये उच्च कोटि के भावुक और समर्थ कवि थे। इनकी एक रचना 'अमीघूँट' के नाम से बेलवेडियर प्रेस, प्रयाग से प्रकाशित हुई है।

संपादक 'अमीघूँट' ने इनका परिचय देते हुए कहा है, 'परमभक्त केशवदास जी के जीवन का हाल कुछ मालूम नहीं होता, सिवाय इसके कि वह जाति के बनिया, यारी साहिब के चेले और बूला साहिब के गुरुभाई थे जिनकी परंपरा में गुलाल साहिब, भीखा साहिब और पलटू साहिब सरीखे साधु और संत प्रकट हुए। इस हिसाब से उनके जीवन का समय विक्रमी संवत् 1750 और 1825 के बीच ठहरता है।‘ अंतः साक्ष्य प्रमाणों के आधार पर भी यारी साहब इनके गुरु निर्धारित होते हैं—

“व्यापक पूरन दसौ दिसि, परगट पहिचानी हो।
केसो यारी गुरु मिले, आतम रति मानी हो॥“

केशवदास यारी साहब के समान ही उच्च कोटि के भावुक और परम साधक थे। इनके काव्य में आत्मबल और गंभीरता की स्पष्ट छाप है।

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