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रीतिबद्ध कवि। दोहों में चमत्कार और उक्ति-वैचित्र्य के लिए स्मरणीय।

रीतिबद्ध कवि। दोहों में चमत्कार और उक्ति-वैचित्र्य के लिए स्मरणीय।

रसलीन की संपूर्ण रचनाएँ

दोहा 41

कठिन उठाये सीस इन, उरजन जोबन साथ।

हाथ लगाये सबन को, लगे काहू हाथ॥

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तिय पिय सेज बिछाइयों, रही बाट पिय हेरि।

खेत बुवाई किसान ज्यों, रहै मेघ अवसेरि॥

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सुनियत कटि सुच्छम निपट, निकट देखत नैन।

देह भए यों जानिये, ज्यों रसना में बैन॥

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तन सुबरन के कसत यो, लसत पूतरी स्याम।

मनौ नगीना फटिक में, जरी कसौटी काम॥

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तुव पग तल मृदुता चितैं, कवि बरनत सकुचाहिं।

मन में आवत जीभ लों, मत छाले पर जाहिं॥

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सवैया 4

 

कवित्त 2

 

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