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रसखान

1548 - 1628 | हरदोई, उत्तर प्रदेश

कृष्ण-भक्त कवि। भावों की सरस अभिव्यक्ति के लिए ‘रस की खान’ कहे गए। सवैयों के लिए स्मरणीय।

कृष्ण-भक्त कवि। भावों की सरस अभिव्यक्ति के लिए ‘रस की खान’ कहे गए। सवैयों के लिए स्मरणीय।

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
Raskhan Ke Savaiye - Kshitij Kavya Khand Chapter 11 | Class 9 Hindi Course A

रसखान

शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

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