रमाशंकर यादव विद्रोही का परिचय
‘जेएनयू के आदिविद्रोही’ के रूप में चर्चित रहे रमाशंकर यादव विद्रोही का जन्म 5 दिसंबर 1957 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर ज़िले के आहिरी फ़िरोज़पुर ग्राम में हुआ था। स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए वर्ष 1980 में वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय आए तो फिर सदा के लिए यहीं रह गए। क्रांतिकारी तेवर के विद्रोही को वर्ष 1983 में एक छात्र आंदोलन के दौरान जेएनयू प्रशासन द्वारा दंडस्वरूप निष्कासित कर दिया गया था, लेकिन उन्होंने जेएनयू छोड़ने से इनकार कर दिया और अगले 30 वर्षों तक वहीं बने रहे। वह मानसिक रूप से कुछ अस्वस्थ भी हो गए थे। ।
वाचिक परंपरा के कवि रहे विद्रोही कविताएँ सुनाने के विशेष अंदाज़ के कारण छात्रों के बीच लोकप्रिय रहे थे। उनकी कविताओं में प्रकट प्रगतिशील चेतना उन्हें जनसंवाद और प्रतिरोध का कवि बनाती थी। वर्ष 2011 में उनकी कविताओं का प्रकाशन ‘नई खेती’ काव्य-संग्रह के रूप में हुआ। उन पर बनी ‘मैं तुम्हारा कवि हूँ’ डॉक्यूमेंटरी चर्चित रही थी।
वह जेएनयू के वाम आंदोलनों में खुलकर भाग लेते थे। दिसंबर 2015 में जेएनयू के ‘ऑक्युपाई यूजीसी’ आंदोलन के दौरान भी वह सक्रिय रहे थे। इसी क्रम में जंतर-मंतर में आयोजित विरोध मार्च से लौटकर वह सोए तो फिर उठ न सके।