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पीटर हैंडके

1942

पीटर हैंडके की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 16

तुम जिसे प्यार करते हो, तुम वही हो।

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बस यही मायने रखता है कि पन्नों पर शब्द कैसे दिखते हैं।

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भाषा एक टूटा हुआ आईना है।

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मेरी थकान का शुक्रिया, ये दुनिया अपने नामों से मुक्त हो गई और महान हो गई।

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महान साहित्य की परेशानी यहि है कि कोई भी मूर्ख व्यक्ति उससे ख़ुद को जोड़ सकता है।

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