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पर्सी बिशे शेली

1792 - 1822

पर्सी बिशे शेली की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 3

मैं (बादल) पृथ्वी और जल की पुत्री हूँ और आकाश की लाडली बालिका हूँ। मैं महासागर के रंध्रों और तटों में से होकर जाती हूँ। मैं परिवर्तित हो सकती हूँ परंतु मर नहीं सकती।

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मैं (बादल) समुद्रों जलधाराओं से प्यासे फूलों के लिए ताज़ी (वर्षा की) बौछारे लाता हूँ।

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अधिकार, विनाशकारी प्लेग के सदृश, जिसे छूता है उसे ही भ्रष्ट कर देता है।

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