नेमिचंद्र जैन का परिचय
जन्म : 16/08/1919 | आगरा, उत्तर प्रदेश
निधन : 24/03/2005
‘तार सप्तक’ के सात कवियों में से एक नेमिचंद्र जैन का जन्म 16 अगस्त 1919 को आगरा में हुआ था। अपने युवा जीवन में वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े रहे और पारिवरिक पेशा छोड़ उज्जैन में शारदा शिक्षा सदन में नारायण विष्णु जोशी और गजानन माधव मुक्तिबोध के साथ अध्यापन कार्य किया। बाद में वह वामपंथी समाचार-पत्र ‘स्वाधीनता’ से संबद्ध हुए। देश की स्वतंत्रता के बाद उन्होंने संगीत नाटक अकादेमी में अपनी सेवा दी और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की स्थापना में अहम भूमिका निभाई।
उनकी सर्जना का आरंभ कविता से हुआ था, पर उन्होंने कविताओं के प्रकाशन के मामले में संकोच रखा। उनका पहला कविता संग्रह ‘एकांत’ उनके जीवन के 54वें वर्ष में प्रकाशित हुआ। उसके 26 वर्षों बाद पुन: मित्रों के आग्रह पर ‘अचानक हम फिर’ संग्रह लेकर आए। उनकी कविताओं में वैयक्तिकता और एकांतिकता के साथ पीड़ित मानवता के पक्ष को अभिव्यक्ति मिलती है। वह प्रकृति प्रेम के कवि भी थे। वे ‘तार सप्तक’ के शेष तीन (रामविलास शर्मा, प्रभाकर माचवे और नेमिचंद्र जैन) में गिने जाते हैं जिन्होंने कविता की ओर अग्रसर होने के बजाय आलोचना और अनुशीलन की राह पकड़ ली थी।
उनकी प्रतिष्ठा एक रंग-समालोचक और अनुवादक के रूप में अधिक रही है। उन्होंने अपने समय के रंग परिदृश्य का बख़ूबी अवलोकन आकलन किया तथा ‘अधूरे साक्षात्कार’, ‘बदलते परिप्रेक्ष्य’, ‘जनांतिक’, ‘रंग-परंपरा’, ‘दृश्य-अदृश्य’ आदि आलोचनात्मक कृतियाँ प्रकाशित की। इसके अलावा नाटक, कथा एवं वैचारिक विधाओं में लगभग चालीस कृतियों का अनुवाद किया। उन्होंने ‘नटरंग’ पत्रिका भी निकाली जिससे रंग गतिविधियों व समीक्षा को एक मंच मिल सके। वे नटरंग के अलावा ‘प्रतीक’ के संपादन से भी संबद्ध रहे।
उन्होंने ‘मुक्तिबोध रचनावली’ और ‘मोहन राकेश के संपूर्ण नाटक’ सहित अनेक कृतियों के संपादकीय दायित्वों का निर्वहन किया। उन्हें 2003 में भारत सरकार द्वारा ‘पद्मश्री’ से नवाज़ा गया जबकि वे शलाका सम्मान, साहित्यभूषण सम्मान एवं संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार से भी सम्मानित किए गए हैं।