Font by Mehr Nastaliq Web
noImage

मतिराम

रीतिकाल के महत्त्वपूर्ण कवि। निश्छल भावुकता, सूक्ष्म कल्पनाशीलता और सुकुमार भावों के अत्यंत ललित चित्रण के लिए प्रसिद्ध।

रीतिकाल के महत्त्वपूर्ण कवि। निश्छल भावुकता, सूक्ष्म कल्पनाशीलता और सुकुमार भावों के अत्यंत ललित चित्रण के लिए प्रसिद्ध।

मतिराम की संपूर्ण रचनाएँ

दोहा 44

फूलति कली गुलाब की, सखि यहि रूप लखै न।

मनौ बुलावति मधुप कौं, दै चुटकी की सैन॥

एक सखी दूसरी सखी से चटचटा कर विकसित होती हुई कली का वर्णन करती हुई कहती है कि हे सखि, इस खिलती हुई गुलाब की कली का रूप तो देखो न। यह ऐसी प्रतीत होती है, मानो अपने प्रियतम भौंरे को रस लेने के लिए चुटकी बजाकर इशारा करती हुई अपने पास बुला रही हो।

तेरी मुख-समता करी, साहस करि निरसंक।

धूरि परी अरबिंद मुख, चंदहि लग्यौ कलंक॥

हे राधिके, कमल और चंद्रमा ने तुम्हारे मुख की समता करने का साहस किया, इसलिए मानो कमल के मुख पर तो पुष्परज के कण रूप में धूल पड़ गई, और चंद्रमा को कलंक लग गया। यद्यपि कमल में पराग और चाँद में कलंक स्वाभाविक है तथापि उसका यहाँ एक दूसरा कारण राधा के मुख की समता बताया गया है।

प्रतिपालक सेवक सकल, खलनि दलमलत डाँटि।

शंकर तुम सम साँकरैं, सबल साँकरैं काटि॥

सब सेवकों का पालन करने वाले और दुष्टों का दमन करने वाले—नष्ट-भ्रष्ट कर देने वाले—हे भगवान् शंकर! आपके समान दु:खों या कष्टों की मज़बूत शृंखलाओं—ज़ंजीरों को काटने वाला भला मेरे लिए और दूसरा कौन है!

कपट वचन अपराध तैं, निपट अधिक दुखदानि।

जरे अंग में संकु ज्यौं, होत विथा की खानि॥

अपराध करने से भी अपराध करके झूठ बोलना और कपट-भरे वचनों से उस अपराध को छिपाने का प्रयत्न करना बहुत अधिक दु:ख देता है। वे कपट वचन तो जले हुए अंग में मानो कील चुभाने के समान अधिक दु:खदायक और असत्य प्रतीत होते हैं।

रोस करि जौ तजि चल्यौ, जानि अँगार गँवार।

छिति-पालनि की माल में, तैंहीं लाल सिंगार॥

हे लाल! यदि तुझे कोई गँवार मनुष्य, जो तेरे गुणों को नहीं पहचानता, छोड़कर चला भी गया तो भी कुछ बुरा मत मान; क्योंकि गँवार लोग भले ही तुम्हारा आदर करें पर राजाओं के मुकुटों का तो तू ही शृंगार है। भाव यह है कि किसी विद्वान् गुणी व्यक्ति का कोई मूर्ख यदि आदर भी करे तो भी उसे दु:खी नहीं होना चाहिए, क्योंकि समझदार लोग तो उसका सदा सम्मान ही करेंगे।

सवैया 10

कवित्त 6

पुस्तकें 1

 

Recitation

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

टिकट ख़रीदिए