मंगलेश डबराल का परिचय
जन्म : 16/05/1948 | टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड
निधन : 09/12/2020
मंगलेश डबराल का जन्म 16 मार्च 1948 को टिहरी गढ़वाल के काफलपानी गाँव में हुआ जो एक पहाड़ी गाँव हैं ‘‘जहाँ दिन में ख़ूब दिन होता है और रात में ख़ूब घनी रात।’’ पिता की बीमारी के कारण उन्होंने बी.ए. में पढ़ाई छोड़ दी और आजीविका की तलाश में दिल्ली आ गए। दिल्ली, भोपाल, इलाहाबाद में पत्रकारिता और संपादन सहयोग के साथ उनका लेखन जारी रहा।
समकालीन कविता के एक अन्य प्रतिष्ठित कवि असद ज़ैदी के शब्दों में कहें तो—‘’ऊपर से शांत, संयमित और कोमल दिखने वाली, लगभग आधी सदी से पकती हुई मंगलेश की कविता हमेशा सख़्तजान रही है—किसी भी चीज़ के लिए तैयार! इतिहास ने जो ज़ख़्म दिए हैं उन्हें दर्ज करने, मानवीय यातना को सोखने और प्रतिरोध में ही उम्मीद का कारनामा लिखने के लिए हमेशा प्रतिबद्ध। यह हाहाकार की ज़बान में नहीं लिखी गई है; वाष्पीभूत और जल्दी ही बदरंग हो जाने वाली भावुकता से बचती है। इसकी मार्मिकता स्फटिक जैसी कठोरता लिए हुए है। इस मामले में मंगलेश क्लासिसिस्ट मिज़ाज के कवि हैं—समकालीनों में सबसे ज़्यादा तैयार, मँजी हुई, और तहदार ज़बान लिखने वाले।’’
‘पहाड़ पर लालटेन’ (1981), ‘घर का रास्ता’ (1988), ‘हम जो देखते हैं’ (1995), ‘आवाज़ भी एक जगह है’ (2000), ‘नए युग में शत्रु’ (2013), ‘घर का रास्ता’ (2017), ‘स्मृति एक दूसरा समय है’ (2020) उनके कविता-संग्रह हैं। इसके अतिरिक्त, ‘लेखक की रोटी’ और ‘कवि का अकेलापन’ शीर्षक गद्य-संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं। उनका एक यात्रा-वृतांत ‘एक बार आयोवा’ भी प्रकाशित है।
सभी भारतीय भाषाओं के अलावा अँग्रेज़ी, जर्मन, डच, फ़्रांसीसी, स्पानी, इतालवी, पुर्तगाली, बल्गारी, पोल्स्की आदि विदेशी भाषाओं के कई संकलनों और पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कविताओं के अनुवाद प्रकाशित हुए हैं। मरिओला द्वारा उनके कविता-संग्रह ‘आवाज़ भी एक जगह है’ का इतालवी अनुवाद ‘अंके ला वोचे ऐ उन लुओगो’ नाम से प्रकाशित हुआ है तथा अँग्रेज़ी अनुवादों का एक चयन ‘दिस नंबर दज़ नॉट एग्ज़िस्ट’ प्रकाशित है।
उन्होंने बेर्टोल्ट ब्रेश्ट, हांस माग्नुस ऐंत्सेंसबर्गर, यानिस रित्सोस, ज़िबग्नीयेव हेर्बेत, तादेऊश रूज़ेविच, पाब्लो नेरूदा, एर्नेस्तो कार्देनाल, डोरा गाबे आदि विदेशी कवियों की कविताओं का अँग्रेज़ी से हिंदी में अनुवाद किया है।
उन्हें कविता-संग्रह ‘हम जो देखते हैं’ के लिए वर्ष 2000 के साहित्य अकादेमी से पुरस्कार से सम्मानित किया गया।