मदन वात्स्यायन का परिचय
मूल नाम : लक्ष्मी निवास सिंह
जन्म : 04/03/1922
निधन : 11/07/2004
‘तीसरा सप्तक’ में शामिल कवि मदन वात्स्यायन का जन्म 4 मार्च 1922 को बिहार के समस्तीपुर ज़िला में वीरसिंहपुर ग्राम में हुआ था। उनका मूल नाम लक्ष्मीनिवास सिंह था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम.एस.सी और इंग्लैंड से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद वह सिंदरी कारख़ाने में ‘टेक्नोलॉजिस्ट’ के पद पर बहाल हुए। कविता किशोर आयु से लिखने लगे थे। तीसरा सप्तक के वक्तव्य में स्वयं कहते हैं—‘‘एक किशोर कवि था मदन, जो बहुत दिन हुए मर गया—उसकी कापियों में से बहुत कुछ लेकर व्यापारिक दृष्टि से हेर-फेर कर पचा लेता हूँ।’’
उन्होंने अधिकाँश कविताएँ 1950-62 की अवधि में लिखी। अंतिम वर्षों में सिर्फ़ सॉनेट लिखते रहे, फिर उन्होंने स्वयं को कविता की दुनिया से अलग कर लिया और लगभग चार दशकों तक ख़ामोश ही बने रहे। नीलाभ ने अपने एक संस्मरण में ज़िक्र किया है कि एक समय मदन वात्स्यायन की कविताएँ बहुत शान से प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में छपती थीं और नए-नए लिखने वालों पर उनका बड़ा रोब और रुतबा था।
मेनिनजाइटिस की बीमारी से जूझते हुए 82 वर्ष की आयु में 11 जुलाई, 2004 को दिल्ली में उनका निधन हो गया। उनकी कविताओं का पहला संग्रह ‘शुक्रतारा’ 2006 में भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा रश्मि रेखा के संपादन में प्रकाशित किया गया।