कुक्कुरिपा का परिचय
उपनाम : 'कुक्कुरीपाद'
कुक्कुरीपा राहुल सांकृत्यायन के अनुसार कपिलवस्तु के ब्राह्मण थे। तारानाथ ने इनको मीनपा का गुरु तथा चर्पटी का शिष्य बताया है। तारानाथ ने यह भी कहा है कि कुक्कुरी या कुक्कुराचार्य नामक एक दूसरा आचार्य था जिसने बहुत से कुत्ते पाल रक्खे थे। सिद्ध कुक्कुरीपा का नाम कुक्कुरीपा इसलिये पड़ा था कि इन्होंने लुंबिनी वन में एक ऐसी स्त्री से महामुद्रा-सिद्धि प्राप्त की थी जो पूर्वजन्म में एक कुक्कुरी थी।
तंजूर मे इनके सोलह ग्रंथों का उल्लेख मिलता है जिनमें से संभवतः तीन अपभ्रंश में थे। यदि ये वास्तव में चर्पटी के शिष्य थे तो इनका समय लगभग 10 वीं शताब्दी निश्चित हो चुका है। अतः उनका तथा मीनपा और उनके शिष्य हाड़ी (जालंधर) तथा कण्हपा का भी यही समय होना चाहिये। कुक्कुरिपा अपने जीवन में सहज जीवन के समर्थक थे। इससे अधिक जानकारी इनके विषय में नहीं मिलती।