कवींद्र (उदयनाथ) का परिचय
उपनाम : 'उदयनाथ'
कवींद्र का वास्तविक नाम उदयनाथ था और ये रीतिकालीन कवि कालिदास द्विवेदी के पुत्र थे। सन् 1680 ई. के आसपास इनका जन्म हुआ था। बहुत दिनों तक ये अमेठी के राजा हिम्मत सिंह तथा उनके पुत्र कवि तथा काव्यप्रेमी भूपति कवि (गुरूदत्त) के आश्रय में रहे। बूंदी के राव बुद्धसिंह हाड़ा तथा भगवंतराय खींची के यहाँ भी इनको बहुत सम्मान प्राप्त हुआ था। रामचंद्र शुक्ल ने इनके द्वारा रचित तीन पुस्तकों ‘रस-चंद्रोदय’, ‘विनोद चंद्रिका’ तथा ‘जोगलीला’ का उल्लेख करते हुए लिखा है कि ‘विनोद चंद्रिका’ सं. 1777 और ‘रसचंद्रिका’ सं. 1804 में बनी किंतु भगीरथ मिश्र के अनुसार ‘रस चंद्रोदय’ और ‘विनोद चंद्रिका’ एक ही ग्रंथ है। इस संबंध में मिश्र जी ने निम्नलिखित उद्धरण दिया है—
‘संवत् सतक ललित अट्ठारह चार।
नाइक नाइकाहिं निरधार॥
लिखी कविंद रस ग्रंथ।
कियो विनोद चंद्रोदय ग्रंथ॥’
उपर्युक्त उद्धरण में ‘रसचंद्रोदय’ और ‘विनोदचंद्रोदय’ का रचनाकाल एक ही है, इसलिए भगीरथ मिश्र का मत उचित है। ‘रसचंद्रोदय’ शृंगार का ग्रंथ है। इसमें लक्षण दोहों में तथा उदाहरण कवित्त, सवैया छंदों में दिये गए हैं। काव्यांगों के प्रतिमान प्राचीन ग्रंथों से ही अधिग्रहण किए गए हैं, इसलिए इस ग्रंथ में नवीनता नहीं होने के कारण इसका काव्यात्मक महत्त्व अधिक है, शास्त्रीय कम है। इनकी भाषा बहुत मधुर और प्रसादपूर्ण है। उदाहरण भी बहुत ही रोचक और सुंदर बन पड़े हैं। कल्पना इनकी वर्ण्य-विषय के अनुकूल है। काव्य इनका अच्छा है लेकिन शास्त्रीय महत्त्व की कसौटी पर इनकी कविता कमज़ोर प्रतीत होती है।