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गोविंद द्विवेदी

1944 | छतरपुर, मध्य प्रदेश

दुर्लभ कवि-आलोचक। दो कविता-संग्रह—'नीली अथाह उक्ति' और 'तपते पंखों के रंग' तथा आलोचना की दो पुस्तकें—'नई कविता में बिंब का वस्तुगत परिप्रेक्ष्य' और 'अंतराल में' प्रकाशित।

दुर्लभ कवि-आलोचक। दो कविता-संग्रह—'नीली अथाह उक्ति' और 'तपते पंखों के रंग' तथा आलोचना की दो पुस्तकें—'नई कविता में बिंब का वस्तुगत परिप्रेक्ष्य' और 'अंतराल में' प्रकाशित।

गोविंद द्विवेदी का परिचय

मूल नाम : गोविंद द्विवेदी

जन्म : 16/04/1944 | छतरपुर, मध्य प्रदेश

16 अप्रैल 1944 की छतरपुर (मध्य प्रदेश) में जन्मे गोविंद द्विवेदी पैंतीस वर्षों तक हिंदी विभाग, डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय (सागर) में अध्यापनरत रहे। अपने सेवाकाल में वह शोध सहायक, व्याख्याता, प्रवाचक, आचार्य, विभागाध्यक्ष, अधिष्ठाता, अध्यक्ष-हिंदी अध्ययन मंडल, पत्रकारिता विभागाध्यक्ष तो रहे ही साथ ही कुछ समय विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे। 

कवि-आलोचक गोविंद द्विवेदी की दो आलोचना पुस्तकें—‘नई कविता में बिंब का वस्तुगत परिप्रेक्ष्य’ तथा ‘अंतराल में’ प्रकाशित हैं। ‘नीली अथाह उक्ति’ तथा ‘तपते पंखों के रंग’ उनके कविता-संग्रह हैं। 

उन्होंने रीतिकालीन दो कवियों चिंतामणि तथा रघुनाथ द्वारा लिखित काव्यदोषों पर केंद्रित पुस्तक की बुंदेली पांडुलिपि ‘दूषण उल्लास’ का संपादन किया है। साहित्यिक पत्रिका ‘तेवर’, बुंदेली पीठ—हिंदी विभाग की शोध पत्रिका ‘ईसुरी’ तथा विश्वविद्यालय की शोध पत्रिका ‘मध्य भारती’ के वह संपादक रहे।

उन्हें उनके पहले कविता-संग्रह ‘नीली अथाह उक्ति’ के लिए मध्यप्रदेश साहित्य परिषद ने 'माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार' से सम्मानित किया।

कवि रघुवीर सहाय पर उन्होंने महत्त्वपूर्ण आलोचनात्मक काम किया है, जिसका कुछ हिस्सा भारत भवन की पत्रिका ‘पूर्वग्रह’ में प्रकाशित हुआ।

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