गोपाल सिंह नेपाली का परिचय
सुप्रसिद्ध कवि-गीतकार गोपाल सिंह नेपाली का जन्म 11 अगस्त 1911 को बिहार के बेतिया में हुआ था। उनका मूल नाम गोपाल बहादुर सिंह था। बचपन से ही कविताएँ लिखने लगे थे और युवावस्था से बतौर गीतकार लोकप्रिय होने लगे थे। कवि-सम्मेलनों में उन्हें प्रमुखता से आमंत्रित किया जाता था। मुख्यधारा साहित्य, पत्रकारिता और फ़िल्म उद्योग—तीनों ही क्षेत्रों में उन्होंने अपना रचनात्मक योगदान किया। उन्होंने सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ के साथ ‘सुधा’ मासिक पत्र में और कालांतर में ‘रतलाम टाइम्स’, ‘पुण्य भूमि’ तथा ‘योगी’ पत्रिकाओं के संपादन में सहयोग किया था। आजीविका के संघर्ष से गुज़रते हुए 1944 में मुंबई का रुख़ किया और तक़रीबन 60 फ़िल्मों के लिए 400 से अधिक गीत लिखे। उन्होंने अपने अधिकांश गीतों के धुन भी ख़ुद बनाए। बाद में हिमालय फ़िल्म्स और नेपाली पिक्चर्स फ़िल्म कंपनी की स्थापना कर नज़राना (1949), सनसनी (1951) और ख़ुशबू (1955) जैसी कुछ फ़िल्मों का निर्माण भी किया, लेकिन अधिक सफल नहीं हो सके।
उनका पहला काव्य-संग्रह ‘उमंग’ 1933 में प्रकाशित हुआ था। ‘पंछी’, ‘रागिनी’, ‘पंचमी’, ‘नवीन’, और ‘हिमालय ने पुकारा’ उनके अन्य काव्य और गीत-संग्रह हैं। 1962 के चीनी आक्रमण के समय उन्होंने कई देशभक्तिपूर्ण गीत एवं कविताओं की रचना कर देशभक्ति और आशा का संचार किया था जिनमें 'सावन', 'कल्पना', 'नीलिमा', 'नवीन कल्पना करो' आदि अत्यंत लोकप्रिय हुए।
17 अप्रैल 1963 को एक कवि-सम्मेलन से कविता-पाठ करके लौटते समय बिहार के भागलपुर रेलवे स्टेशन पर अचानक उनका निधन हो गया।