बुखारी साहब
...“दोस्ती तनदिही और मुस्तैदी का नाम है यारो, मोहब्बत तो यूँही कहने की बात है। देखो तो, हर रोज़ मैं तुममें से हर पाजी को टेलीफ़ोन करता हूँ, हर एक के घर पहुँचता हूँ, अपने घर लाता हूँ, खिलाता हूँ, पिलाता हूँ, सैर कराता हूँ, हँसाता हूँ, शेर सुनाता हूँ,