ऑस्ट्रियाई नाटककार, उपन्यासकार और कवि, जो ऑस्ट्रिया और व्यापक यूरोपीय समाज में लिंग, कामुकता, और सत्ता की गतिशीलता के अपने उग्र और विवादास्पद विश्लेषण के लिए जानी जाती हैं। येलिनेक का लेखन सामाजिक मुद्दों पर गहरी, तीखी आलोचना से भरा हुआ है, जिसमें पूंजीवाद, पितृसत्ता और राष्ट्रवाद जैसे विषय शामिल हैं। उनके सबसे प्रसिद्ध कार्यों में ‘द पियानो टीचर’ (1983) शामिल है, जिस पर 2001 में एक फ़िल्म भी बनाई गई, और बैंबीलैंड (2003) नाटक, जो युद्ध की मीडिया में प्रस्तुतियों की आलोचना करता है।
येलिनेक को 2004 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अपने अंतर्मुखी स्वभाव के लिए जानी जाने वाली येलिनेक सार्वजनिक रूप से कम ही दिखाई देती हैं, और उनके लिए उनका कार्य ही उनकी पहचान है।