चंद्रशेखर का परिचय
सैनिक स्कूल तिलैया, पटना विश्वविद्यालय और फिर जवाहर लाल नेहरू विश्विद्यालय से एम.फिल. तक शिक्षा। बिहार में ही ए.आई.एम.एफ़. के बैनर तले सक्रिय छात्र राजनीति की शुरुआत। जे.एन.यू. आकर आइसा में सक्रिय हुए और जे.एन.यू. छात्रसंघ में लगातार तीन बार चुने गए। 1993-94 में उपाध्यक्ष और फिर 95-96 व 96-97 में छात्रसंघ अध्यक्ष। किसानों, मज़दूरों के बीच ज़मीनी काम-काज में सीधी हिस्सेदारी निभाने विश्वविद्यालय छोड़कर भाकपा (माले) के पूरावक़्ती कार्यकर्त्ता के बतौर अपने ज़िल सिवान लौटे। 31 मार्च 1997 को बिहार बंद के समर्थन में सिवान शहर के जे.पी. चौराहे पर सभा करते हुए अपराधियों की गोली से अपने साथी श्याम नारायण यादव और एक श्रोता बुटेली मियाँ के साथ शहीद हुए। ज़िंदगी ने लिखने का वक़्त बहुत कम दिया। कुछ कविताएँ, कहानियाँ, लघु कथाएँ, विभिन्न विषयों पर टिप्पणियाँ समकालीन प्रकाशन से उन पर आई किताब ‘हमारी पीढ़ी का नायक’ में प्रकाशित। चंदू के नाम से लोकप्रिय।