श्मशान
यहाँ आने पर सब बराबर हो जाते हैं। पंडित, मूर्ख, धनी, दरिद्र, सुंदर, कुरूप, महान, क्षुद्र, ब्राह्मण, शूद्र, बंगाली यहाँ सब बराबर हैं। नैसर्गिक, अनैसर्गिक, सब तरह वैषम्य यहाँ दूर हो जाता है। शाक्यसिंह, शंकराचार्य, ईसा रूसो, राममोहन, कोई ऐसा साम्यसंस्थापक