संपूर्ण
परिचय
दोहा10
गीत4
ई-पुस्तक3
पद17
सबद1
सवैया3
वीडियो1
यात्रा वृत्तांत4
नाटक1
निबंध3
उद्धरण1
मुकरियाँ1
व्यंग्य5
भारतेंदु हरिश्चंद्र के निबंध
भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?
आज बड़े आनंद का दिन है कि छोटे-से नगर बलिया में हम इतने मनुष्यों को एक बड़े उत्साह से एक स्थान पर देखते हैं। इस अभागे आलसी देश में जो कुछ हो जाए वही बहुत कुछ है। बनारस ऐसे-ऐसे बड़े नगरों में जब कुछ नहीं होता तो हम यह न कहेंगे कि बलिया में जो कुछ हमने
नाटक
अथवा दृश्यकाव्य सिद्धांत विवेचन उपक्रम मुद्राराक्षस का जब मैंने अनुवाद किया, तब यह इच्छा थी कि नाटकों के वर्णन का विषय भी इसके साथ दिया जाए; किंतु एक तो ग्रंथ के बढ़ने के भय से, दूसरे कई मित्रों के अनुरोध से यह विषय स्वतंत्र, पुस्तकाकार मुद्रित हुआ।
दिल्ली दरबार दर्पण (THE DELHI ASSEMBLEGE MEMORANDUM)
जयति राजराजेश्वरी जय युवराज कुमार। जय नृप-प्रतिनिधि कवि लिटन जय दिल्ली दरबार। स्नेह भरन तम हरन दोउ प्रजन करन उजियार। भयो देहली दीप सो यह देहली दरबार॥ सब राजाओं की मुलाक़ातों का हाल अलग-अलग लिखना आवश्यक नहीं, क्योंकि सबके साथ वही मामूली बातें हुईं।