अतुल तिवारी की संपूर्ण रचनाएँ
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चलो भाग चलते हैं
तो क्या हुआ अगर मैंने ये सोचा था कि तुम चाक पर जब कोई कविता गढ़ोगी, मैं तुम्हारे नाख़ूनों से मिट्टी निकालूँगा। तो क्या हुआ अगर सघन मुलाक़ातों की उम्म
By अतुल तिवारी | 17 अगस्त 2023
बहुत धीरे चलती थी मेरी काठगोदाम
काठगोदाम एक्सप्रेस। गोरखपुर से होते हुए हावड़ा जंक्शन से चल कर काठगोदाम को जाने वाली। जो कई वर्षों से प्लेटफ़ॉर्म नंबर चार पर आ रही है। धीरे-धीरे। हथिनी
By अतुल तिवारी | 17 जून 2023
‘एक विशाल शरणार्थी शिविर में’
किताबों से अधिक ज़रूरत है दवाओं की। दवाओं से अधिक ज़रूरत है परिचित दिशाओं की। दिशाओं से अधिक ज़रूरत है एक कमरे की। किराए का पानी, किराए की बिजली और
By अतुल तिवारी | 20 अगस्त 2023
विचारों में कितनी भी गिरावट हो, गद्य में तरावट होनी चाहिए
सफल कहानी वही है जो पाठकों को याद रह जाए। कहानियों में कथ्य महत्त्वपूर्ण है―भाषा नहीं। मैं जो कहना चाह रहा हूँ, वह आपको ऐसे समझ नहीं आएगा। कहानी कहने के सलीक़े को समझाने के लिए मैं आपको दो नौसिखिया कहानीकारों की कहानी सुनाता हूँ। दोनों एक साथ बैठकर एक दफ़्तर में कहानी तलाशने का काम करते थे।
By अतुल तिवारी | 17 मई 2023