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अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ाँ

1900 - 1927 | शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारी, काकोरी कांड के नायक और हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य। कविताओं और जेल-डायरी के रूप में साहित्यिक योगदान।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारी, काकोरी कांड के नायक और हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य। कविताओं और जेल-डायरी के रूप में साहित्यिक योगदान।

अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ाँ की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 4

क्या मेरे लिए इससे बढ़कर कोई इज़्ज़त हो सकती है। कि सबसे पहला और अव्वल मुसलमान हूँ जो आज़ादिये वतन की ख़ातिर फाँसी पा रहा है?

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शहीदों के मज़ारों पर लगेगें हर बरस मेले

वतन पर मरने वालों का यही बाक़ी निशां होगा।

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शहीदाने वतन का ख़ून इक दिन रंग लाएगा

चमन में फूट निकलेगा यह बरगे अर्गवाँ होकर।

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कोई इंगलिश कोई जर्मन कोई रशियन कोई टर्की, मिटाने वाले हैं अपने हिंदी जो आज हमको मिटा रहे हैं।

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