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अनुराधा सिंह

1971 | ओबरा, उत्तर प्रदेश

इस सदी में सामने आईं कवयित्री। स्त्रीवादी विचारों के लिए उल्लेखनीय।

इस सदी में सामने आईं कवयित्री। स्त्रीवादी विचारों के लिए उल्लेखनीय।

अनुराधा सिंह का परिचय

मूल नाम : अनुराधा सिंह

जन्म : 01/08/1971 | ओबरा, उत्तर प्रदेश

मूल रूप से उत्तर प्रदेश की रहवासी अनुराधा सिंह का युवा-कविता और स्त्री-कविता में पिछले कुछ वर्षों में तेज़ उभार हुआ है। उन्होंने मनोविज्ञान और अँग्रेज़ी साहित्य की शिक्षा पाई है और मैनेजमेंट में बिजनेस कंयुनिकेशन पढ़ाती हैं। 

‘ईश्वर नहीं नींद चाहिए’ उनका पहला काव्य-संग्रह है। इसमें संग्रहीत कविताओं की पड़ताल में इन्हें महज़ स्त्री अस्मिता की ज़मीन या पितृ-सत्तात्मक समाज से संवाद के संदर्भ तक ही सीमित नहीं मानते हुए इतिहास और जटिल समय की अंत: वेदना और बेकली की कविताएँ कहा गया है। उनकी कविताओं का फ़लक बड़ा बताया गया है जहाँ पास-पड़ोस की स्त्रियों से लेकर क्यूबा, त्रिनिदाद, ओहायो, अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया या लीबिया तक की सभी स्त्रियों के संसार एक-दूसरे में घुल-मिल गए हैं। 

इस संग्रह के साथ ही प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं और ब्लॉग्स में उनकी कविताओं, वैचारिक आलेखों, समीक्षाओं और अनुवादों का निरंतर प्रकाशन होता रहा है। कविताओं के साथ ही अनुवाद के क्षेत्र में भी उन्होंने रचनात्मक योगदान किया है। इस क्रम में प्रसिद्ध मार्क्सवादी विचारक बेनेडिक्ट एंडरसन की पुस्तक ‘इमैजिंड कम्युनिटीज’ के पहले हिंदी अनुवाद के अलावा माइकल टौसिग्स, डेमियन वाल्टर्स, कैथलीन रूनी आदि के आलेख और माया एंजिलो, जून जॉर्डन, ऑड्रे लॉर्ड् और लैंग्स्टन ह्यूज जैसे अश्वेत कवियों की रचनाओं के विस्तृत अनुवाद शामिल हैं। उन्होंने तिब्बत के निर्वासित कवियों की कविताओं के अनुवाद भी किए हैं जो चर्चित रहे।

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