अंकुर मिश्र का परिचय
अंकुर मिश्र एक उभरती हुई प्रतिभा थे। बेचैनी उनके साथ ही पैदा हुई थी। स्कूल में वह पढ़ाई के संग-संग वाद-विवाद, खेल-कूद और अन्य प्रतिस्पर्द्धात्मक गतिविधियों में भी उत्साह एवं तन्मयता से सबसे आगे-आगे भाग लेते थे। स्कूल के अंतिम वर्षों में आते-आते यह बेचैनी कला की विभिन्न विधाओं में अभिव्यक्ति पाने लगी थी। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज से इतिहास (ऑनर्स) की परीक्षा 2001 में पास की। कॉलेज की नाट्य-संस्था ‘शून्य’ के वह अध्यक्ष भी रहे। साथ ही, अपने सरोकारों के अनुरूप ‘पैंडीज़’ तथा ‘एक्ट वन’ जैसे सक्रिय नाट्य-समूहों से भी जुड़े और कई रंगमंचीय प्रस्तुतियों में अभिनय व अन्य सृजनात्मक क्षेत्रों में शामिल रहे।
परिवार में साहित्य एवं कला के प्रति रूझान ने शायद उन्हें एक स्वाभाविक पृष्ठभूमि प्रदान की, लेकिन अंतिम तौर पर उन्होंने साहित्य व रंगकर्म को अभिव्यक्ति के लिए चुना। जैसे-जैसे वह जीवन के मर्म और रंगकर्म की बारीकियों से परिचित होते जा रहे थे, वैसे-वैसे सहज ही कविता व संगीत के प्रति आकर्षण गहराता जा रहा था। उनकी कविताओं का शिल्प नितांत अनगढ़ लगता है। कहीं-कहीं जैसे एक मौन और कहीं एक छलाँग—ये अंतराल वे हैं जो किसी और इंगित से भरे व समझे जाने वाले हैं।
अंकुर मिश्र के कविता-संग्रह ‘उड़ान’ के फ़्लैप से साभार।