अमीर ख़ुसरो के दोहे
ख़ुसरो रैन सुहाग की, जागी पी के संग।
तन मेरो मन पीउ को, दोउ भए एक रंग॥
ख़ुसरो कहते हैं कि उसके सौभाग्य की रात्रि बहुत अच्छी तरह से बीत गई, उसमें परमात्मा प्रियतम के साथ जीवात्मा की पूर्ण आनंद की स्थिति रही। वह आनंद की अद्वैतमयी स्थिति ऐसी थी कि तन तो जीवात्मा का था और मन प्रियतम का था, परंतु सौभाग्य की रात्रि में दोनों मिलकर एक हो गए, अर्थात दोनों में कोई भेद नहीं रहा और द्वैत की स्थिति नहीं रही।
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गोरी सोवै सेज पर, मुख पर डारे केस।
चल ख़ुसरो घर आपने, रैन भई चहुँ देस॥
ख़ुसरो कहते हैं कि आत्मा रूपी गोरी सेज पर सो रही है, उसने अपने मुख पर केश डाल लिए हैं, अर्थात वह दिखाई नहीं दे रही है। तब ख़ुसरो ने मन में निश्चय किया कि अब चारों ओर अँधेरा हो गया है, रात्रि की व्याप्ति दिखाई दे रही है। अतः उसे भी अपने घर अर्थात परमात्मा के घर चलना चाहिए।
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere