अज्ञेय का आलोचनात्मक लेखन
उपन्यास की भारतीय विधा
साहित्य के 'राष्ट्रीय' रूप में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है। क्यों हो? राष्ट्रीयतापरक साहित्य हो सकता है, विभिन्न समयों पर उसकी ज़रुरत भी हो सकती है और यह भी हो सकता है कि समूचे देश-समाज की मुख्य संवेदना का प्रतिबिंबन और वहन करते हुए साहित्य राष्ट्रीयता