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आदि शंकराचार्य

आदि शंकराचार्य की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 1

अज्ञान की निवृत्ति में ज्ञान ही समर्थ है, कर्म नहीं, क्योंकि उसका अज्ञान से विरोध नहीं है और अज्ञान की निवृत्ति हुए बिना राग-द्वेष का भी अभाव नहीं हो सकता।

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