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चानन भेल विषम सर रे

chanan bhel wisham sar re

विद्यापति

विद्यापति

चानन भेल विषम सर रे

विद्यापति

और अधिकविद्यापति

    चानन भेल विषम सर रे, भूषन भेल भारी।

    सपनहुँ हरि नहिं आएल रे, गोकुल गिरधारी॥

    एकसरि ठाडि कदम-तर रे, पथ हेरथि मुरारी।

    हरि बिनु हृदय दगध भेल रे, झामर भेल सारी॥

    जाह-जाह तोहें ऊधब हे, तोहें मधुपुर जाहे।

    चंद्रबदनि नहिं जीवति रे, बध लागत काहे॥

    भनइ बिद्यापति तन मन रे, सुन गुनमति नारी।

    आजु आओत हरि गोकुल रे पथ चलु झटझारी॥

    देह पर चंदन का लेप अब तीक्ष्ण बाण के समान लगता है। विरह की पीड़ा से उसका शरीर इतना कृश हो गया है कि उसे आभूषण भी भार-स्वरूप लगने लगे हैं। गोकुल के कृष्ण अब उसे स्वप्न में भी दर्शन देने नहीं आते। वह राधा अकेली ही कदंब-वृक्ष के नीचे कृष्ण की बाट जोहती रहती है। कृष्ण के बिना उसका हृदय विरह की आग में जलता रहता है। विरह-ताप के कारण उसकी साड़ी भी मलिन हो गई है। हे उद्धव! तुम शीघ्र ही मथुरा जाओ और कृष्ण से कहना कि उस चंद्रमुखी का यदि तुम्हारी उपेक्षा के कारण प्राणांत हो गया तो उसकी हत्या का पाप किसे लगेगा। विद्यापति कहते हैं कि हे गुणवती नारी! तुम ध्यान देकर सुनो, आज कृष्ण गोकुल आएँगे इसलिए मार्ग में उनसे मिलने के लिए जल्दी से चलो।

    स्रोत :
    • पुस्तक : विद्यापति का अमर काव्य (पृष्ठ 316)
    • संपादक : गोपालाचार्य 'पराग'
    • रचनाकार : विद्यापति
    • प्रकाशन : स्टूडेंट स्टोर बिहारीपुर बरेली
    • संस्करण : 1965
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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