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तारेंगे तहकीक सुतगुरु तारेंगे

tarenge tahkik sutaguru tarenge

गरीबदास

गरीबदास

तारेंगे तहकीक सुतगुरु तारेंगे

गरीबदास

और अधिकगरीबदास

    तारेंगे तहक़ीक़ सुतगुरु तारेंगे॥

    घट ही में गंगा घट ही में जमुना घट ही में जगदीस।

    तुम्हरे ग्याना तुम्हरे ध्याना तुम्हरे तारन की परतीत॥

    मन कर धीरा बाँध ले बौरे छांड देय पिछलो की रीति।

    दास ग़रीब सतगुरु का चेला टारैं जम की रसीत॥

    जल थल साथी एक है रे, डुंगर डहर दयाल।

    दसो दिसा के दरसन, ना काहे जोरा काल॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : हिंदी संतकाव्य-संग्रह (पृष्ठ 328)
    • संपादक : गणेशप्रसाद द्विवेदी
    • रचनाकार : ग़रीबदास
    • प्रकाशन : हिंदुस्तानी एकेडेमी
    • संस्करण : 1952

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