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कहा-कहा नहिं सहत सरीर

kaha kaha nahin sahat sarir

हरीराम व्यास

हरीराम व्यास

कहा-कहा नहिं सहत सरीर

हरीराम व्यास

और अधिकहरीराम व्यास

    कहा-कहा नहिं सहत सरीर।

    स्याम-सरन बिनु करम सहाइ न, जनम-मरन की पीर॥

    करुनावंत साधु-संगति बिनु, मनहिं देय को धीर।

    भक्त-भागवत बिनु को मैटे, सुख दै दुख को भीर॥

    बिनु अपराध चहूँ दिसि बरसत, पिसुन-बचन अति तीर।

    कृष्ण-कृपा-कवची तें उबरै, पावै तबहीं सीर॥

    चेतहु भैया, बेगि बढ़ी, कलि-काल-नदी गंभीर।

    ‘व्यास’ वचन बलि वृंदावन बसि, सेवहु कुंज कुटीर॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : ब्रजमाधुरी सार (पृष्ठ 122)
    • रचनाकार : हरिराम व्यास
    • प्रकाशन : हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग
    • संस्करण : 2002

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