Font by Mehr Nastaliq Web

अंकुर तपन ताप जदि जारब

ankur tapan tap jadi jarab

विद्यापति

विद्यापति

अंकुर तपन ताप जदि जारब

विद्यापति

और अधिकविद्यापति

    अंकुर तपन ताप जदि जारब कि करब बारिद मेघे।

    नव जोबन बिरह गमाओब कि करब से पिया गेहे॥

    हरि हरि के यह दैब दुरासा।

    सिंधु निकट जदि कंठ सुखाएब के दुर करब पियासा॥

    चंदन तन जब सौरभ छोड़ब ससधर बरखब आगी।

    चिंतामनि जब निज गुन छोड़ब कि मोर करम अभागी॥

    साओन माह धन-बिंदु बरिखब सुरतरु बाँझ कि छाँदे।

    गिरिधर सेबि ठाम नहिं पाएब विद्यापति रहु धाँदे॥

    यदि ताप की ज्वाला नवांकुरों को झुलसा दे तो फिर जलदायक मेघ क्या कर सकता है? इसी प्रकार यदि यह मेरा नवयौवन विरह में नष्ट हो गया तो फिर प्रियतम घर आकर क्या करेंगे? हे हरि! क्या यह मेरे भाग्य की निराशा नहीं। सागर के तट पर ही यदि कंठ सूख जाए तो फिर पिपासा को किस प्रकार दूर किया जा सकता है। यदि चंदन का वृक्ष अपनी सुगंधि का परित्याग कर दे, और चंद्रमा अग्नि का वर्षण करने लगे और चिंतामणि अपने गुण (मनोवांछित फल देने) का त्याग कर दे तो क्या यह मेरा ही दुर्भाग्य नहीं है। विद्यापति कहते हैं कि सावन के मास में मेघ चाहें एक बूँद का भी वर्षण करें किंतु क्या कल्पवृक्ष फलहीन हो सकता है। विद्यापति कहते हैं कि मुझे इस बात में संदेह नहीं है कि गिरि को धारण करने वाले कृष्ण की सेवा करने से समस्त कामनाओं की पूर्ति अवश्य होगी।

    स्रोत :
    • पुस्तक : विद्यापति का अमर काव्य (पृष्ठ 314)
    • संपादक : गोपालाचार्य 'पराग'
    • रचनाकार : विद्यापति
    • प्रकाशन : स्टूडेंट स्टोर बिहारीपुर बरेली
    • संस्करण : 1965

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    Rekhta Gujarati Utsav I Vadodara - 5th Jan 25 I Mumbai - 11th Jan 25 I Bhavnagar - 19th Jan 25

    Register for free