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म्हारा नेम प्रभु सौं कहि ज्यो जी

mhara nem prabhu saun kahi jyo ji

बख्तराम साह

बख्तराम साह

म्हारा नेम प्रभु सौं कहि ज्यो जी

बख्तराम साह

और अधिकबख्तराम साह

    म्हारा नेम प्रभु सौं कहि ज्यो जी।

    म्हे भी तप करिवा संग चालां, प्रभु घड़ीयक उभा रहिज्यो जी।

    लार राखवा मैं काईं थानै प्रभु, बुरी भी कहै तो सहिज्यो जी॥

    भव संसार उदधि में बूड़त, हाथ हमारो गहिज्यो जी।

    बखतराम के प्रभु जादोपति, लाजा विरद की निबाहिज्यो जी॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : हिंदी पद संग्रह (पृष्ठ 168)
    • संपादक : कस्तूरचंद कासलीवाल
    • रचनाकार : बख्तराम साह
    • प्रकाशन : गैंदीलाल साह, महावीर भवन, जयपुर
    • संस्करण : 1965

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