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मनावत हार परी माई

manawat haar pari mai

परमानंद दास

परमानंद दास

मनावत हार परी माई

परमानंद दास

और अधिकपरमानंद दास

    मनावत हार परी माई।

    तू चट ते मट होति नहि राधे उन मोहि लैन पठाई॥

    राजकुमारी होय सो जाने के गुरु सीख सिखाई।

    नंद नंदन कौ छांडि महातम अपनी रार बढ़ाई।

    ठोढ़ी हाथ दे चली दूतिका, तिरछी भौंह चढ़ाई।

    परमानंद प्रभु करूंगी दुल्हैया, तौ बाबा की जाई॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : अष्टछाप के कवि (पृष्ठ 102)
    • संपादक : हरगुलाल
    • रचनाकार : परमानंददास
    • प्रकाशन : प्रकाशन विभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार
    • संस्करण : 2008

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