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यह छबि बाढ़ो री रजनी

ye chhabi baDho ri rajni

चाचा हितवृंदावनदास

चाचा हितवृंदावनदास

यह छबि बाढ़ो री रजनी

चाचा हितवृंदावनदास

और अधिकचाचा हितवृंदावनदास

    यह छबि बाढ़ो री रजनी, खेलत रास रसिकमनी माई।

    कानन वर की महकनि, तैसिय सरद-जुन्हाई॥

    पुलिन प्रकास मध्य मनि-मंडल तहँ राजत हरि-राधा।

    प्रतिबिंबित तन दुरनि-मुरनि में तब छबि बढ़त अगाधा॥

    गौर-स्याम छबि-सदन बदन पर फूबि रहे स्रम-कन ऐसे।

    नील कनक-अंबुज अंतर धरे, ओपि जलज-मनि जैसे॥

    झलकत हार, चलत कल कुंडल, मुख मंयक-ज्यौं सौहैं।

    वारों सरद निसा ससि केतिक, नैन कटाच्छनि मोहैं॥

    थेई-थेई बचन बदति पिय प्यारी प्रगटति नृत्य नई गति।

    बृंदावन हित, तान-गान-रस, अलि हित रूप कुसल अति॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : ब्रजमाधुरी सार (पृष्ठ 216)
    • संपादक : वियोगी हरि
    • रचनाकार : चाचा हितबृंदावनदास
    • प्रकाशन : हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग
    • संस्करण : 2002
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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