जयति जयति श्रीगोवर्धन-उद्धरन-धीरे
jayti jayti shriigovardhan-.uddharan-dhiire
चतुर्भुजदास
Chaturbhujdas
जयति जयति श्रीगोवर्धन-उद्धरन-धीरे
jayti jayti shriigovardhan-.uddharan-dhiire
Chaturbhujdas
चतुर्भुजदास
और अधिकचतुर्भुजदास
जयति जयति श्रीगोवर्धन-उद्धरन-धीरे।
वृष्टि-टूटन करन ब्रज-कुल भै हरन-
देवपति-गर्व, सांवल सरीरे॥
जयति वारिज वदन, रूप-लावनि-सदन
सिर सिखंड, कटि पट जु पीरे।
मुरली कलगान, ब्रज जुबति मन आकरन
संग बहत सुभग जमुना-तीरे॥
जयति रस रास सोविलास वृंदा विपिन
कलिय सुख-पुंज मन मलय समीरे॥
‘चतुर्भुजदास’ गोपाल नट-भेष सोई।
राधिका कंठ सब गुन गंभीरे॥
- पुस्तक : अष्टछाप कवि : चतुर्भुजदास (पृष्ठ 33)
- संपादक : हरगुलाल
- रचनाकार : चतुर्भुजदास
- प्रकाशन : प्रकाशन विभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार
- संस्करण : 2009
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