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गिरधर हटरी भली बनाई

girdhar hatri bhali banai

परमानंद दास

परमानंद दास

गिरधर हटरी भली बनाई

परमानंद दास

और अधिकपरमानंद दास

    गिरधर हटरी भली बनाई।

    दीपावलि हीरा मनि राजत देखि हरत होत अति भाई॥

    भांति अनेक पकवान बनाये अति नौतन व्यंजन सुखदाई।

    सुंदर भूखन पहरे सुंदरि सौदा करन लाल सौं आई॥

    सावधान है सौदा कीजै जो दीजै तो तौल पुराई।

    राखो चित चंचल नहि कीजे ग्वालिन हंसि मुसकाई॥

    कैसे बोली बोलति ग्वालिन कहत जसोदा माई।

    परमानंद हंसी नंद घरनी सबै बात मैं पाई॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : अष्टछाप के कवि (पृष्ठ 87)
    • संपादक : हरगुलाल
    • रचनाकार : परमानंददास
    • प्रकाशन : प्रकाशन विभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार
    • संस्करण : 2008

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