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स्याम-रूप में तेज, अधर-रस

syam roop mein tej, adhar ras

ललितकिशोरी

ललितकिशोरी

स्याम-रूप में तेज, अधर-रस

ललितकिशोरी

और अधिकललितकिशोरी

    स्याम-रूप में तेज, अधर-रस जलहिं मिलाऊँ।

    मुरलि अकास मिलाय, प्रान में प्राननि छाऊँ॥

    मुख-मंडित गोधूलि, अली टुक देखन पाऊँ।

    पृथिवी अंस मिलाय, तासु मैं प्रियतम ध्याऊँ॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : ब्रजमाधुरी सार (पृष्ठ 275)
    • रचनाकार : ललितकिशोरी
    • प्रकाशन : हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग
    • संस्करण : 2002

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