हरि के नाम कौं आलस क्यों करत हैं रे
hari ke nam kaun aalas kyon karat hain re
स्वामी हरिदास
Swami Haridas
हरि के नाम कौं आलस क्यों करत हैं रे
hari ke nam kaun aalas kyon karat hain re
Swami Haridas
स्वामी हरिदास
और अधिकस्वामी हरिदास
हरि के नाम कौं आलस क्यों करत हैं रे, काल फिरत सर साँधे।
हीरा बहुत जवाहर संचे, कहा भयो हस्ती दर बाँधे॥
बेर-कुबेर कछु नहिं जानत, चढ़ो फिरत है काँधे।
कहि ‘हरिदास’ कछू न चलत जब, आवत अंत की आँधै॥
- पुस्तक : ब्रजमाधुरी सार (पृष्ठ 95)
- रचनाकार : स्वामी हरिदास
- प्रकाशन : हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग
- संस्करण : 2002
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