Font by Mehr Nastaliq Web

रहिरी ग्वालिनि जोवन मदमाती

rahiri gwalini jowan madmati

परमानंद दास

परमानंद दास

रहिरी ग्वालिनि जोवन मदमाती

परमानंद दास

और अधिकपरमानंद दास

    रहिरी ग्वालिनि जोवन मदमाती।

    मेरे छगन मगन से लालहिं कित ले उछंन लगावति छाती॥

    खीजत ते अबही राखे हैं न्हानी न्हानी दूध को दांती।

    खेलन दै घर अपने डोलत काहे को एती इतराती॥

    उठि चली गवालि लाल लागे रोबन तब जसुमति लाई बहु भांती।

    परमानंद प्रीति अंतर गति फिरि आई नैननि मुसकाती॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : अष्टछाप के कवि : परमानंददास (पृष्ठ 75)
    • संपादक : हरगुलाल
    • रचनाकार : परमानंददास
    • प्रकाशन : प्रकाशन विभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार
    • संस्करण : 2008
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY