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जयति श्री जानकी राम जोरी

jayti shri janki ram jori

हरिहर प्रसाद

हरिहर प्रसाद

जयति श्री जानकी राम जोरी

हरिहर प्रसाद

और अधिकहरिहर प्रसाद

    जयति श्री जानकी राम जोरी।

    जगमग तनु गर तन जनु बिमल नखत गत बदन पर वारिये शशि करोरी॥

    शरद नभ श्याम श्री राम मुनि मन अगमत मनहरन जोतिसी सीय गोरी।

    दोउ मिलि राम की रामता बनि गई जहाँ कलिकाल की नहिं झकोरी॥

    भई बड़ि भीर रघुवीर छबि लखन को झाँकि झाँकहिं तिया तिनकतोरी।

    बरत महताब पर परत पाँखी यथा प्रेम बश होय रहीं देह भोरी॥

    तहाँ सिय मातु की का दशा मैं कहीं देव में भय लगि गय ठगोरी।

    रीति व्यवहार तब कोक है कोक रै थकित गति देखि शशि जनु चकोरी॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : रामभक्ति-साहित्य में मधुर उपासना (पृष्ठ 383)
    • संपादक : भुवनेश्वरनाथ मिश्र माधव
    • रचनाकार : हरिहर प्रसाद
    • प्रकाशन : बिहार-राष्ट्रभाषा-परिषद्, पटना
    • संस्करण : 1975
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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