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मैया निपट बुरो बलदाऊ

maiya nipat buro baldau

परमानंद दास

परमानंद दास

मैया निपट बुरो बलदाऊ

परमानंद दास

और अधिकपरमानंद दास

    मैया निपट बुरो बलदाऊ।

    कहत है वन बड़ो तमासो सब लरिका जुरि आऊ॥

    मोहू कौं चुचकारि चले लै जहां बहुत बड़ो वन झाऊ।

    ह्वांहीते कहि छांड़ि चले सब काटि खाय रे हाऊ॥

    डरपि कांपि के उठि ठाडो भयौ कोऊन धीर धराऊ।

    परि परि गयो चल्यों नहीं जावै भाजे जात अगाऊ॥

    मोसौं कहत मोल कौ लीन्हो आप कहावत साऊ।

    परमानंद बलराम चबाई तै सेई मिले सखाऊ॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : अष्टछाप के कवि (पृष्ठ 77)
    • संपादक : हरगुलाल
    • रचनाकार : परमानंददास
    • प्रकाशन : प्रकाशन विभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार
    • संस्करण : 2008

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