Font by Mehr Nastaliq Web

भारत-भारती / वर्तमान खंड / स्त्रियाँ

striyan

मैथिलीशरण गुप्त

मैथिलीशरण गुप्त

भारत-भारती / वर्तमान खंड / स्त्रियाँ

मैथिलीशरण गुप्त

और अधिकमैथिलीशरण गुप्त

    होगी यहाँ तक कर्कशा क्या लेखनी! तू परवशा—

    गृहदेवियों की जो हमारी लिख सके तू दुर्दशा?

    किस भाँति देखोगे यहाँ, दर्शक! दृगों को मींच लो,

    यह दृश्य है क्या देखने का, दृष्टि अपनी खींच लो॥

    अनुकूल आद्याशक्ति को सुखदायिनी जो स्फूर्ति है,

    सद्धर्म की जो मूर्ति और पवित्रता की पूर्ति है।

    नर-जाति की जननी तथा शुभ शांति की स्त्रोतस्वती,

    हा देव! नारी-जाति की कैसी यहाँ हैं दुर्गति!

    होती रहीं गार्गी अनेकों और मैत्रेयी जहाँ,

    अब है अविद्या-मूर्ति-सी कुल-नारियाँ होती वहाँ!

    क्या दोष उनका किंतु जो उनमें गुणों की है कमीं?

    हा! क्या करें वे जब कि उनको मूर्ख रखते हैं हमीं॥

    बी.ए. गृहस्वामी विदित किंतु क्या है स्वामिनी?

    कैसे कहें, हा! हैं अशिक्षारूपिणी वे भामिनी!

    अत्युक्ति क्या, दिन-रात का-सा भेद जो इसको कहें;

    दांपत्य-भाव भला हमारे धाम में कैसे रहें?

    बहु कुशलता-सूचक कथाएँ जानती थीं जो कभी,

    अब कलह-कुशला है हमारी गृहणियाँ प्राय: सभी।

    हा! बन रहे हैं गृह हमारे विप्रहस्थल-से यहाँ,

    दो नारियाँ भी हैं जहाँ वाग्बाण बरसेंगे वहाँ!

    रखतीं यही गुण वे कि गंदे गीत गाना जानतीं,

    कुल, शील, लज्जा उस समय कुछ भी नहीं वे मानतीं!

    हँसते हुए हम भी अहो! वे गीत सुनते सब कहीं,

    रोदन करो हे भाइयो! यह बात हँसने की नहीं!

    है ध्यान पति से भी अधिक आभूषणों का अब उन्हें,

    तब तुष्ट हों तो हों कि मढ़ दो मंडनों से जब उन्हें।

    है यह उचित ही, क्योंकि जब ज्ञान से हैं दूषिता—

    क्या फिर भला आभूषणों से भी हों वे भूषिता?

    अत्यल्प भी अपराध पर डंडे उन्हें हम मारते,

    पर हेतु उनकी मूर्खता का सोचते विचारते।

    हैं हाय! दोषी तो स्वयं देते उन्हें हम दंड हैं,

    आश्चर्य क्या फिर पा रहे जो दुःख आज अखंड हैं॥

    ऐसी उपेक्षा नारियों की जब स्वयं हम कर रहे,

    अपना किया अपराध उनके शीश पर हैं धर रहे।

    भागे क्यों हमसे भला फिर दूर सारी सिद्धियाँ,

    पातीं स्त्रियाँ आदर जहाँ रहती वहीं सब ऋद्धियाँ॥

    हम डूबते हैं आप तो अघ के अँधेरे कूप में—

    है किंतु रखना चाहते उनकी सती के रूप में;

    निज दक्षिणाङ्ग पुरीष से रखते सदा हम लिप्त हैं,

    वामांग में चंदन चढ़ाना चाहते, विक्षिप्त हैं!

    क्या कर नहीं सकतीं भला यदि शिक्षिता हों नारियाँ?

    रण-रंग, राज्य, सु-धर्म-रक्षा, कर चुकीं सुकुमारियाँ।

    लक्ष्मी, अहल्या, बायजाबाई, भवानी पद्मिनी—

    ऐसी अनेकों देवियाँ हैं आज जा सकती गिनी॥

    सोचो, नरों से नारियाँ किस बात में हैं कम हुई?

    मध्यस्थ वे शास्त्रार्थ में हैं भारतीय के सम हुई।

    हैं धन्य थेरी-तुल्य गाथा-कवित्रियाँ वे सर्वथा,

    कवि हो चुकी हैं विज्जका, विजया, मधुरवाणी यथा॥

    निज नारियों के साथ यदि कर्तव्य अपना पालते,

    अज्ञान के गहरे गढ़े में जो उनको डालते,

    तो आज नर यों मूर्ख होकर पतित क्यों होते यहाँ?

    होती जहाँ जैसी स्त्रियाँ वैसे पुरुष होते वहाँ॥

    पाले हुए पशु-पक्षियों का ध्यान तो रखते सभी,

    पर नारियों की दुर्दशा क्या देखते हैं हम कभी?

    हमने स्वयं पशु-वृत्ति का साधन बना डाला उन्हें,

    संतान-जनने मात्र को वसनान्न दे पाला उन्हें॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : भारत भारती (पृष्ठ 134)
    • रचनाकार : मैथलीशरण गुप्त
    • प्रकाशन : साहित्य सदन चिरगाँव झाँसी
    • संस्करण : 1984

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए