भारत-भारती / भविष्यत् खंड / आदर्श
aadarsh
यद्यपि कृपण कि अपव्ययी ही हैं धनी मानी यहाँ,
सत्कार्य में सर्वस्व के भी किंतु हैं दानी यहाँ,
देशों नरेशों की दशा यद्यपि अभी बदली नहीं,
पर सर सयाजीराव-सम-आदर्श नृप भी हैं यहीं॥
यद्यपि समय के फेर ने वे दिव्य गुण छोड़े नहीं,
हैं किंतु अब भी देश में आदर्श कुछ थोड़े नहीं।
यदि जन्म लेते थे महात्मा भीष्म-तुल्य कभी यहाँ,
तो जन्मते हैं कुछ दृढ़व्रत लोकमान्य अभी यहाँ॥
श्री राममोहनराय, स्वामी दयानंद सरस्वती,
उत्पन्न करती है अभी यह मेदिनी ऐसे वती।
साफल्यपूर्वक हैं जिन्होंने स्वमत-संस्थाएँ रची,
है धूम सारे देश में जिनके विचारों से मची॥
श्री रामकृष्णोपम महात्मा, रामतीर्थोपम यती,
ऐसे जनों से आज भी यह भूमि बनती वसुमती।
द्विजवर्य्य ईश्वरचंद्र-सम होते दयासागर यहीं,
देवेंद्रनाथ-समान ऋषि अन्यत्र मिल सकते नहीं॥
राजेंद्रलाल-समान विद्वद्रत्न होते हैं यहाँ,
जगदीश और प्रफुल्ल-सम विज्ञानवेत्ता हैं कहाँ?
प्राचीन विषयज्ञान में भंडारकर से ज्ञात हैं,
गणितज्ञ बापूदेव, बार्हस्पत्य-सम विख्यात हैं॥
नीतिज्ञ दिनकर और माधवराव सम सम्मान्य हैं,
क़ानून के विद्वान डाक्टर घोष-तुल्य वदान्य हैं।
श्री गोखले, गाँधी-सदृश नेता महा मतिमान हैं,
वक्ता विजय घोषक हमारे श्री सुरेंद्र-समान हैं॥
निज शक्ति भारत-भूमि ने अब भी सभी खोई नहीं,
सत्कवि रवींद्र-समान अब भी विश्व में कोई नहीं।
अवनींद्र, रविवर्मा-सदृश हैं चित्रकार होते यहीं,
प्रख्यात हैं श्री म्हातरे-सम मूर्तिकार सभी कहीं॥
गायक पलुसकर, सत्यबाला-तुल्य होते हैं अभी,
वादनकला पर मूढ़ पशु भी भूलते सुध-बुध सभी।
खरशस्त्र-धारों पर यहाँ होता अभी तक नृत्य है,
करता विमुग्ध विदेशियों को ललित कौशल कृत्य हैं॥
दिन-दिन नए आदर्श बहु विध हीनता को हर रहे,
हैं माइसोर-समान देशी राज्य उन्नति कर रहे।
सब प्रांत मिलकर प्रेमपूर्णक योग देते हैं जहाँ,
हैं बन रहीं देशोपकारक सभ्य-संस्थाएँ यहाँ॥
प्राचीन और नवीन अपनी सब दशा आलोच्य है,
अब भी हमारी अस्ति है यद्यपि अवस्था शोच्य है।
कर्तव्य करना चाहिए, होगी न क्या प्रभु की दया,
सुख-दुःख कुछ हो, एक-सा ही सब समय किसका गया?
- पुस्तक : भारत भारती (पृष्ठ 177)
- रचनाकार : मैथलीशरण गुप्त
- प्रकाशन : साहित्य सदन चिरगाँव झाँसी
- संस्करण : 1984
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.