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देह मेरी छूटै पै न छूटै मोह मोहन सौं

deh merii chhuuTai pai n chhuuTai moh mohan sau.n

ठाकुर बुंदेलखंडी

ठाकुर बुंदेलखंडी

देह मेरी छूटै पै न छूटै मोह मोहन सौं

ठाकुर बुंदेलखंडी

और अधिकठाकुर बुंदेलखंडी

    देह मेरी छूटै पै छूटै मोह मोहन सौं,

    खूटै गुर लोग टूटै सब ही सों रसुरी।

    चाहौ कहौ कुलटा कलंकिनी कुनारि कहौ,

    चाहौ कहौ मानस है चाहौ कहौ पसु री।

    ‘ठाकुर' कहत तो सों सीखहि सिखायौ कौन,

    तैं ही तौ बिचारि कछू मेरो रह्यौ बसु री।

    नाम बस्यौ रसना मैं अंतर सरूप बस्यौ,

    आँखिन मैं छबि बसी कानन मै बँसुरी॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : रीतिमुक्त कवि : नया परिदृश्य (पृष्ठ 147)
    • संपादक : रामफेर त्रिपाठी
    • रचनाकार : ठाकुर बुंदेलखंडी
    • प्रकाशन : मधु प्रकाशन, इलाहाबाद
    • संस्करण : 1982

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    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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