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अधिक बधिक तें सुजान रीति रावरी हे

adhik badhik ten sujan riti rawri he

घनानंद

घनानंद

अधिक बधिक तें सुजान रीति रावरी हे

घनानंद

और अधिकघनानंद

    अधिक बधिक तें सुजान, रीति रावरी हे,

    कपट-चुगी दै फिरि निपट करौ बुरी।

    गुननि पकरि लै, निपाँख करि छोरि देहु,

    मरहि जियै, महा बिषम दया-छरी॥

    हौं जानौं, कौन धौं हो यामैं सिद्धि स्वारथ की,

    लखी क्यौं परति प्यारे अंतरकथा दुरी।

    कैसें आसा-द्रुम पै बसेरो लहै प्रान-खग,

    बनक-निकाई घनआनँद नई जुरी॥

    हे प्रिय सुजान, आपकी प्रेमियों को फँसाने की रीति बहेलिए से भी बढ़कर दिखाई देती है। आप कपट-पूर्वक अपनी ओर आकृष्ट करके फिर परांगमुखता द्वारा विशेष कष्ट देते हैं। बहेलिया गुणों से (जाल में) फँसाता है, आप भी गुणों से (विशेषताओं से) आकृष्ट करते हैं। वह पंख कतरकर छोड़ देता है, आप भी प्रेमी की अन्य किसी पक्ष से रहित कर देते हैं। आपकी दया ऐसी है कि मरने में जीने में। आपने दया यह की कि मारा नहीं। आप जो इस प्रकार की दया दिखाते हैं या पकड़ते तथा पक्षहीन करते हैं इसमें आपके किस स्वार्थ की सिद्धि होती है, कुछ भी पता नहीं चलता। अर्थ की सिद्धि, उदर की पूर्ति और लोकमान्यता ही कि इन्होंने बड़ा अच्छा शिकार किया। आपकी अंतरकथा की रहस्यात्मक वृत्ति है। यदि कहा जाए कि पक्षी को स्वयं सावधान रहना चाहिए, उसे आकृष्ट ही होना चाहिए तो भला वह बेचारा आशा के वृक्ष पर अपने प्राणों को कब तक टिकाए रहे, जब वह देखता है कि अत्यंत आनंददायिनी नई छटा सामने इकट्ठी हुई है। वह तो सौंदर्य को देखकर खिंच ही जाता है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : घनानंद-कवित्त (पृष्ठ 243)
    • संपादक : चंद्रशेखर मिश्र
    • रचनाकार : घनानंद
    • प्रकाशन : वाणी वितान प्रकाशन, वाराणसी-1
    • संस्करण : 1972
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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