लोचन लजौहैं सोहैं होत न सखीन हू सो
lochan lajauhain sohain hot na sakhin hu so
कुलपति मिश्र
Kulpati Mishra
लोचन लजौहैं सोहैं होत न सखीन हू सो
lochan lajauhain sohain hot na sakhin hu so
Kulpati Mishra
कुलपति मिश्र
और अधिककुलपति मिश्र
लोचन लजौहैं सोहैं होत न सखीन हू सो,
बातन में कीजत अनूप सुरभंग की।
मन-मन आनंदमगन ह्वै बिहँसति,
याही तें सहेली न सुहाति कोऊ संग की॥
डगमगी डगै पल झपकि झपकि लगै,
कहे देत गति तन झलक अनंक की।
आली औरे आभा आज भई है बदन पर,
जगर मगर जोति होति अंग-अंग की॥
- पुस्तक : हिंदी काव्य गंगा (प्रथम भाग) (पृष्ठ 231)
- संपादक : सुधाकर पांडेय
- रचनाकार : कुलपति मिश्र
- प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा, वाराणसी
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