इश्क होता तो शहा इन्तजाम आलम में
ishk hota to shaha intjam aalam mein
इश्क होता तो शहा इन्तजाम आलम में,
इश्क बिना जिन्दगी तो सुरते बवाल है।
इश्क रुलाये जलाये इश्क पिया से मिलाये,
यह रौशन करावे इश्क का ए हाल है॥
इश्क नींद में ही जाग, इश्क का बुझे न आग,
इश्क में वैराग राग, बेखुदी बेहाल है।
के ‘निपट निरंजन', सुनो आलमगीर,
इश्क पाये काल इश्क जलवा-जमाल है॥
- पुस्तक : निपट निरंजन की बानी (पृष्ठ 75)
- संपादक : राजमल बोरा
- रचनाकार : निपट निरंजन
- प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
- संस्करण : 1992
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