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गोरी तेरो गात कामदेव जू को

gori tero gat kamdew ju ko

मंडन

मंडन

गोरी तेरो गात कामदेव जू को

मंडन

और अधिकमंडन

    गोरी तेरो गात कामदेव जू को मंदिर है,

    ताके दोऊ कलसा ये सोने ही सों भरे हैं।

    साहस सुवास मई कैधौं माई तूँ है नई-

    करनी की बेलि, तामें दोऊ फल फरे हैं।

    सोभा सुहाग दुहू सारि को है जुग किधौ,

    ‘मंडन' कि रूप के कँगूरा काहू करे हैं।

    हरा पहिरावत ही हेली तेरे हिये पर,

    देखिये द्वै निधि के सिंघोरा ऐसे धरे हैं॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : मंडन-ग्रंथावली (पृष्ठ 143)
    • संपादक : देवेंद्र
    • रचनाकार : मंडन
    • प्रकाशन : साहित्य संगम, इलाहाबाद
    • संस्करण : 1984

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